बाबूजी को यह संसार छोड़े हुए आज 26 वर्ष पूर्ण हो गए हैं।सीमाब अकबराबादी की उपरोक्त नज़्म बाबूजी को पसंद आई होगी और उन्होंने इसे उर्दू एवं देवनागरी दोनों लिपियों में लिपिबद्ध करके रखा था। उनका हस्तलिखित पर्चा कल ही पुरानी फ़ाइलों से प्राप्त हुआ है। अतः इसे उनके स्मृति दिवस पर उनको श्रद्धावत नमन सहित प्रकाशित किया जा रहा है।
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