Sunday 20 November 2022

हाथ देख कर यह कैसे पता चल सकता है ?

 20-11-2015 को प्रकाशित ------ 

हमारे रिश्ते में एक और भतीजे थे राय राजेश्वर बली जो  आज़ादी से पहले यू पी गवर्नर के एजुकेशन सेक्रेटरी भी रहे और रेलवे बोर्ड के सदस्य भी। उन्होने ही 'भातखण्डे यूनिवर्सिटी आफ हिन्दुस्तानी म्यूज़िक' की स्थापना करवाई थी जो अब डीम्ड यूनिवर्सिटी के रूप में सरकार द्वारा संचालित है। उसके पीछे ही उनके ही एक उत्तराधिकारी की यादगार में 'राय उमानाथ बली' प्रेक्षागृह है , वह भी सरकार द्वारा संचालित है। 

अपने से 15 वर्ष बड़े जिन भतीजे का ज़िक्र किया है वह भी उनके ही परिवार से हैं। राय राजेश्वर बली साहब की एक बहन के पौत्र डॉ पी डी पी माथुर साहब से मेरठ में तब संपर्क था जब वह वहाँ एडीशनल CMO थे , जो बाद में उत्तर-प्रदेश के डी जी हेल्थ भी बने थे। उम्र में काफी बड़े होने किन्तु रिश्ते में छह पीढ़ी छोटे होने के कारण वह मुझे भाई साहब कह कर  ही संबोधित करते थे। 

राय राजेश्वर बली साहब की एक भुआ (जो हमारी बहन हुईं ) से मुलाक़ात आगरा में हुई थी , वह भी मुझसे काफी बड़ी थीं बल्कि उनके पुत्र डॉ अजित ही (जो माथुर सभा, आगरा के अध्यक्ष भी रहे )  मुझसे उम्र में बड़े होने के कारण मुझे भाई साहब ही संबोधित करते रहे। डॉ अजित के घर एक बार उनके बहन-बहनोई भी मिले थे और उन लोगों ने अपने बारे में हस्तरेखा के आधार पर जानकारी भी हासिल की थी। डॉ साहब के बहनोई साहब ज्योतिष पर विश्वास नहीं करते थे और उनसे यह पहली ही मुलाक़ात थी वह हाथ दिखाने के इच्छुक भी नहीं थे; किन्तु डॉ साहब की पत्नी जी के कहने पर  अन्यमन्सकता  पूर्वक राज़ी हुये थे। जब मैंने पहले उल्टे दोनों हाथ और उसके बाद हथेलियों का अवलोकन करने के बाद उनसे कहा कि, आप को या तो मिलेटरी में होना चाहिए या फिर डॉ होना चाहिए। तब उनको कुछ विश्वास हुआ और उन्होने प्रश्न किया कि हाथ देख कर यह कैसे पता चल सकता है ? उनको उनके हाथ की स्थिति से समझा दिया। उन्होने स्वीकार किया कि दोनों बातें सही हैं वह ए एम सी (ARMY MEDICAL COR ) में डॉ है। फिर जो भी बातें उनको बताईं सभी को उन्होने स्वीकार किया और आश्चर्य भी व्यक्त किया कि मैंने सही बता दिया जबकि पंडित लोग नहीं बताते हैं। मैंने उनको स्पष्ट किया कि पंडित  जो मंदिर का पुजारी होगा या कर्मकांडी ज़रूरी नहीं कि ज्योतिष जानता भी हो लेकिन जनता को ठगता ज़रूर है वह सही बता ही नहीं सकता है। परंतु दुर्भाग्य से लोग बाग  पहले तो ऐसे धोखेबाज़ों को ही ज्योतिषी मानते व लुटते हैं फिर ज्योतिष की निंदा करने लगते हैं। मैं खुद भी ऐसे पंडितों का पर्दाफाश करने के लिए ही ज्योतिष के क्षेत्र में उतरा जबकि पहले ज्योतिष पर उन लोगों के कारण ही विश्वास नहीं करता था ।

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