Sunday 25 September 2022

नहीं कटवाए गए थे ताज बनाने वालों के ह‍ाथ ------ Mahendra Neh



Mahendra Neh

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नहीं कटवाए गए थे ताज बनाने वालों के ह‍ाथ 

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- ऐसी अफवाह है कि शाहजहां ने ताज बनाने वाले 20 हजार मजदूरों के हाथ कटवा दिए थे।

- इसके पीछे वजह बताई जाती है कि शाहजहां चाहता था कि दोबरा कोई ताज जैसी स्माारक न बनवा सके।

- लेकिन इतिहासकार राजकिशोर के अनुसार, शाहजहां ने ताज के निर्माण के बाद कारीगरोंं से आजीवन काम न करने का वादा लिया था।

- इसके बदले कारीगरों को जिंदगी भर वेतन देने का वादा किया गया था।

- कारीगरों के हाथों के हुनर का काम करने से रोक देने को दूसरे शब्दों  में हाथ काटना कहा गया।

- शाहजहां ने ताज के पास 400 साले पहले मजदूरों के लिए ताजगंज नाम से बस्तीा बसा दी थी।

- ताज निर्माण के समय मजदूर और आर्किटेक्टस यहीं रहा करते थे।

- इनमें से कुछ मजदूरों और आर्के टिक्टर को ताज के साथ-साथ दिल्ली  के लाल किला निर्माण में भी लगाया गया था।

- अब भी यहां उन मजदूरों के वंशज यहां रह रहे हैं। यहां के निवासी ताहिर उद्दीन ताहिर का कहना है कि उन्हेंम गर्व है कि उनके पूर्वजों ने ताजमहल बनाने में हिस्सा  लिया।

- हाथ काटने की अफवाह में जरा भी सच्चांई नहीं है।

ताज का नक्शाक बनाने वाले को मिलती थी 1 हजार रु सैलरी

- शाहजहां को इमारतें बनवाने का शौक था। ताज पहली इमारत थी, जिसका निर्माण उन्हों ने कराया।

- दूरदराज से तमाम बेहतरीन कारीगर पैसों के लालच में आगरा में आकर बस गए थे।

- भारत ही नहीं अरब पर्सिया और तुर्की से वास्तु विदों, मिर्ताणकर्ताओं और पच्चीहकारी के कलाकारों को बुलाया गया था।

- ताज का नक्शा  बहुतों ने बनाया, लेकिन शाहजहां को उस्तारद ईसा आफदी का डिजाइन पसंद आया।

- जबकि पत्थ्रों पर शब्दं उकेरने का काम अमानत खान शिरजी को सौंपा गया।

- शाहजहां इन दोनों को काम के बदले 1 हजार रुपए प्रतिमाह सैलरी देता था, जोकि उस समय बहुत ज्याादा थी।

- आफदी के साथ चार अन्यक लोगों को नक्शेह के काम के लिए समान वेतन पर रखा गया था।

तुर्की के कारीगर ने बनाया था ताज का गुंबद

- तुर्की के कारीगर इस्माइल खान को ताज का गुंबद बनाने की जिम्मेमदारी मिली थी।

- इसके लिए उन्हें 500 रुपए प्रति महीने सैलरी मिलती थी।

- वहीं, 200 रुपए महीने पर लाहौर के कासिम खान ने कलश बनाने की जिम्मेदारी संभाली।

- मनोहर लाल मन्नू को 500 रुपए प्रति महीने में पच्चीकारी का काम सौंपा गया था।

- गुम्बद तैयार करने की जिम्मेदारी तुर्की के कारीगर इस्माइल खान को मिली और इसके लिए उन्हें 500 रुपये महीना पर रखा गया।

- 200 रुपए महीने पर लाहौर अब पकिस्तान के कासिम खान ने कलश बनाने की जिम्मेदारी संभाली।

- मनोहर लाल मन्नू लाल मोहन लाल को 500 रुपये माह में पच्ची कारी का काम सौपा गया।

 शाहजहां ने कारीगरों के लिए बसाई थी ताजगंज बस्ती

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